Wednesday 26 September 2018

राजस्थान का निराला रंग 

Tuesday 25 September 2018

वीर तेजाजी महाराज मेला 2018 खरनाल 

Thursday 13 August 2015

आपणे जोधपुर जिले रो सामान्य परिचय


क्षेत्रफ़ल
22,850 वर्गकिमी
साक्षरता
57.38 प्रतिशत
समुद्रतल सु ऊँचाई
284-450 मी.
आदमियारी साक्षरता
73.86 प्रतिशत
बारिश रो औंसत
320 मि.मी.
लुगाया री साक्षरता
39.18 प्रतिशत
उच्चतम तापक्रम
नगरपालिका
3
न्युनतम तापक्रम
पंचायत समितियाँ
9
कुल जनसंख्या
28,80,777
गांव पंचायते
339
आदमियो री संख्या
15,09,563
राजस्व गांव
1080
लुगाया री संख्या
13,71,214
तहसील
7
ग्रामीण जनसंख्या
शहरी जनसंख्या

जोधपुर जिल्लो देश भक्ति ,साहस ,त्याग ,संस्कृ ति अने विकास री दृष्टि सु हरदम गौरवशाली रहयो है।जोधपुर जिल्लो थार मरूस्थल रो प्रवेश द्वार अने सुर्य नगरी रा नाम खुदरी अच्छी ओळख बणायोडो है । ओ इतिहास प्रसिद्ध परिवार चौहान अन राठौड राजपुतारी कर्म भूमि रियो डी है। राठौड राजपुता रा अधिकार मे आया पछे जोधपुर मध्यकाल मे मेहत्वपुर्ण भुमिका अदा करी है।मालदेव,उदयसिह ,जसवंतसिह अने भक्तसिह जेडा शासको रा नाम इतिहास मे प्रसिद्ध है। राठौड शासका री छतरिया य़े मंडोर अने जसवंतपुरा मे स्थित है।कला अने स्थापत्य री नजरा मुं नमुना मे गिणना मे आवे है।जोधपुर ने स्थानिय भाषा मे जोधाणा नाम सु जाणनामे आवे है।इरी स्थापना राव जोधाजी सन 1459 मे करी थी।
जोधपुर जिलो राजस्थान रा पशिचमी भाग मे 26 ं से 27 ं.37 ं उतरी अक्षांश अने 72 ं.55 ंसे 73 52 पूर्व देशान्तर रा बीच मे स्थित है। इरा उत्तर मे बीकानेर अने जैसलमेर ,दक्षिण मे बाडमेर अने पाली और पूर्व मे नागोर जिला री सीमा है। पशिचम मे इरी सीमा जैसलमेर जिला मु इने पाकिस्तान री सीमा तक जावे है ।जोधपुर जिला री जलवायु शुष्क पण स्वास्थ्य वर्धक है।जिला मे पत्थर अने चूनो पत्थर महत्वपूर्ण खनिज है।पहाडिया रे चारो ओर वन क्षेत्र है।


दर्शनिय स्थल

मेहरानगढदुर्ग
इतिहास-
मेहरानगढ दुर्ग देश रा प्रसिद्ध दुर्गा मुं एक है जे स्थापत्य कला ,गौरवमय इतिहास अने लोक संस्कृ ति रो सबने ध्यान करावे है। दुर्ग री नीव 12 मई ,1459 रे राव रिडमल रो छोटो रावजोधा जे भु-तल सु 400 फ़ुट ऊंची चिडिया नाथ री पहाडी पर रखी ,अने मयुर ध्वज रा नाम सु भी जाणना मे आवे है । इरो निर्माण सन 1807 ई . मे साहित्यिक अभिरुची रा धणी महाराज मानसिंह करवायो थो फ़तेह पोल रो निर्माण सन 1707 ई मे महाराज अजीतसिंह मुगलो ने हराया पछे किला मे पहारता करवायो थो।
बनावट-
मोटा मोटा पाषाण खंडा सु निर्मित आ दुर्ग री दीवारा 20 सु 120 फ़ुट तक ऊंची अने 12 सु 70 फ़ुट चोडी है अने ओ दुर्ग 500 गज लंबाई अने 250 गज चोडाई मे फ़ैलीयोडी है । पूर्व दिशा मे बणियोडो इरो भव्य प्रवेश द्वार जयपोल केवणा मे आवे है। इरा अतिरिक्त दुर्ग मे अमृतपोल जोधाजी रो कलसा ,लोहपोळ, सुरजपोल ,अने गोपाल पोळ भी है ।किला मे कुछ महेल भी बणियोडा है।जेणामे थाबला,दीवाळ अने छत पर सानारो बारीक कामवाळो मोती महेल अने भितीचित्रो मे सजयोडा फ़ुल महेल कला री दृष्टि सु अदभुत है। इरा अलावा श्रृंगार चौकी अने चामंुडा देवी रो मंदिर दर्शनीय है।किला रा बुर्ज पर स्थापित शंभु बाण, गजमी बाण अने अन्य छोटा मोटा तोप खुद रो इतिहास उजागर करे है।मेहरान गढ़ किला रा संग्रहालय मे मारवाड राजवंश री सांस्कृतिक शौर्य अने एतिहासिक महत्च री कळाकृ तिया एक अदभुत झांकी प्रस्तुत करियोडी है।



जसवंतथडा-
मेहरान गढ़ दुर्ग रा नजीक स्थित देवकुण्ड जलाश्य रा किनारे संगमरमर री आ नायाब इमारत रो निर्माण जोधपुर नरेश जसवंतसिह द्वितीय री याद मे महाराज सरदार सिंह सन 1906 मे करवायो थो।जसवंत थडा री खुबसुरती देखताइज जाण जावे है । अटे स्थित भवन मे जोधपुर मारवाड रा राठौड नरेशा री वंशावली रो सुंदर चित्रण करियोडो है। अटे एक सुरम्य उधान भी है ।
मंडोर-
जोधपुर सेर मे8 किमी. उतर मे बणियोडो मंडोर रो इतिहास बोत हीज पुराणो है । मंडोर दुर्ग तो अबे अटे कोनी है पण विरा अवशेष अवश्य अटे उपलब्ध है।बौध्ध शैली री बनावट वाला स्तंभ अन अने हरजार कक्षा रा अवशेष अटे है।कोई जमाना मे अटे मांड्व्य ऋृ षि री तपो भूमि थी जिण रे वजे सु इरो नाम मांड्व्यपुर पडीयो सातवी शताब्दी मे अटे मांड्व्यपुर सु मंडोर केवणा मे आवे है।एक अनुमान हे कि मडोर सेर री स्थापना महोदर नामक दैत्य राज से करी थी । अने ओइज स्थान पर वो वीरी छोटी मंदोदरी रा ब्याव लंकाधिपति रावण साथे करवाया था।
अटे मिलियोडा अवशेष मुं चौथी शताब्दी रो एक तोरण अने एक गुप्तकालीन मुर्ति महत्वपूर्ण है ।की स्त्रोता मु आ बात प्रमाणित रेयुडी है कोई समय अटे बौध्ध शैली रो एक भव्य दुर्ग थो ।इतिहास कारो रो माननो है कि वो भुकम्प मे नष्ट होगियो । किला रा भग्नावेषो मे सातवी शताब्दी रा एक वैष्णव मंदिर रा अवशेष भी है ।अेडो मानना मे आवे हे के पुराणा समय मे अटे नागवंशी राज करता था।
पौराणिक ,धार्मिक तथा पर्यटन री दृष्टि मुं आज भी मंडोर रो महत्व अक्षुण है। मंडोर रो दुर्ग ,देवल ,देवताओ री साल,जनाना उधान, संग्रहालय ,महेल अने अजीत पोल दर्शनीय है। अटारी प्राकृतिक छटा अने हरीयोडा भरीयोडा उधान मोटी संख्या मे पर्यटको ने आकृषित करे है।इरा मोटा मोटा बगीचा मे जोधपुर रा पुराणा शासको रा छतरी नुमा स्मारक है।मुर्तिया मु सजयोडा अने उमा शिखरो मु मडियोडा स्मारक अने छतरिया मारवाड रो गौरव दर्शावे है। अटे 33 करोड देवी देवताओ री गद्दी भी दर्शनीय है। इर मे देवताओ अने संत महात्माओ रा चित्र है।



उम्मेदभवन
एशिया रा भव्य प्रसादो मे जोधपुर रा उम्मेद भवन रो स्थान शीर्ष पर है।ओ प्रसाद एक छोटी पहाडी उपर स्थित है। अने छीतर पत्थर म बणियोडो रेवणा मु इरो नाम छीतर पैलेस जाणना मे आवे है।ओ भव्य प्रसाद री नीव श्री उम्मेदसिह तत्कालिन शासक 18 नवमबर,1928 ई मे राकी आने 1940 मे ओ बण ने तैयार वेगीयो इरो निर्माण अकाल राहत कार्य वास्ते पुरो रियो अने इरा पर वो जमाना मे 1.21 करोड रिपीया व्यय रीया।वर्तमान मे उम्मेद भवन मे संग्रहालय ,थियेटर , केन्द्रिय होल अने उधान दर्शनीय है ।
नेहरुपार्क
सेर रा विच मे बणीयोडो ओ उधान जोधपुर रा व्यवस्थित उधानो मु एक है।इरो निर्माण सन 1966 मे हियो हो अटारी फ़ुलवारी अने प्राकृतिक रुप मु बणियोडा जहाहनुमा तलाब दर्श्नीय है। जोधपुर सेर रे मध्य मे उम्मेद उधान ,सरदार संग्रहालय अने सुमेर सार्वजनिक पुस्तकालय भी दर्शनीय स्थल है।सेर मे प्राचीन भव्य अने विशाल मंदिर मौजूद है।जीर मे राजा रणछोड्क रो मंदिर कुंजबिहारी ,अचलनाथ , घनश्यामल रो मंदिर तीज माताजी रो मंदिर गणेश मंदिर भैरव मंदिर बालाजी मंदिर अने कागा रो शीतला माता रो मंदिरं आदि सब प्रसिद्ध है।
घावा
जोधपुर सु 45 किमी. दुर ओ वन्य जीव अभ्यारण्य मे बोतीज मोटी संख्या मे भारतीय बारासिह ,हिरण आदि अटे फ़ीरता देखणा मे आवे है।


ओसिया
जोधपुर सु लगभग 65 किमी. दुर जोधपुर- फ़लौदी मार्ग पर ओसिया कस्बा महत्वपूर्ण पर्यटन करना जीवा है। ओ कस्बा रा पत्थर री कलात्मक खुदाई पर पांचवी शताब्दी पेला री सभ्यता अने संस्कृति री झलक देखणा मे आवे है। अटे प्रचीन देवालय मे सचियाय माता रो मंदिर हरिहर रा तीन मंदिर है जो वो युग रा भारतीय वास्तुकला अने संस्कृति रा दर्शन करावे है। अटारा जैन मंदिर ,सुर्य मंदिर भी दर्शनीय है ,ओ छोटा क कस्बा मे कुल 16 मंदिर है जो 7 मु 10 वी शताब्दी रा बिचला है।
इरा अलावा फ़लौदी रा पार्शवनाथ अने रो मंदिर भी दर्शनीय है। फ़लौदी रे पास ग्राम रा नजीक शीत काल मे कुरजा पक्षी बोत मोटी संख्या मे आवे है । जीने देखणा वास्ते देशी विदेशी पर्यटक भी अटे पोंच जावे है ।



कला औंर संस्कृति

चित्रकला रे क्षेत्र मे जोधपुर रो बोत मोटो स्थान है।प्राचीन चित्रा मे लौकिकता अने स्वाभाविकता रो सांगोपांग चित्रण है। अटे हस्त कला उधोग भी बोत जल्दी विकसियो है। जोधपुर मे रंगाई, छपाई , बंधेज,लकडिया री कारीगरी ,दरी निर्माण ,चामडा री जुतिया अन्य उपयोगी अने सजावटी वस्तुओ ,वहाईट् महल कलात्मक वस्तुआ अने अन्य हस्तकला उधोग अटे प्रगति पर है। अटे प्रतिवर्ष उधोग अने हस्तशिल्प मेळा रो भी आयोजन रेवे है ।
लोक संस्कृति रा घराणा जोधपुर मे लोकगीत संगीत रा हाते शास्त्रीय गायन, वादन, अने नर्तन कला ने प्रबल समर्थन मिलियोडो है। अटे राजस्थान संगीत नाटक री अकादमी रो मुख्यालय है।ललित कलाओ मे सर्वागीण विकास अने प्रसार वास्ते राष्ट्रीय कला मंडल भी कार्यरत है। जोधपुर मे नागपंचमी तेवार मे मंडोर मेनागपंचमी मेळो लागे है । अने दशेरा मेला मु एक दिन पेला जोधपुरी कुलदेवी चामंुडा ने प्रसन्न करवा वास्ते चामंुडा माता रो मेलो लगावणा मे आवे है।चामंुडा माता रो मंदिर जोधपुर किला मे स्थित है।
अटारी मसुरीया पहडिया ने सुंदर पर्यटन स्थल रा रुप मे विकसित करणा मे आयो है। अटे रावण रो चबुतरा नाम रो स्थल पर दशहरा रो मेळो लागे है। मसुरिया पहाडी पर बाबा रामदेव रो मंदिर है। अटे बाबा रामदेव रो मेळो लागे है। पर्यटन कला अने सांस्कृ तिक विभाग री और सु जोधपुर मे प्रतिवर्ष मारवाड महोत्सव रो आयोजन करणा मे आवे है।


कई खरीदा ?
बंधेज रा कपडा , लहेरिया , जोधपुरी चुनर ,वहाईट महेल मु बणियोडी सजावटी चीजा,लकडी अने पीतळ रा रमकडा, कलाकृतिया - चमडा री जुतिया ,चपला आदि ,खरीदारी रा प्रमुख स्थल है। नई सडक , सरदार मार्केट कटला बाजार ,स्टेशन रोड,त्रिपोलिया बाजार अने जोहरी बाजार जोधपुर रा मावा अने कांदा री कचौरी बोत ही प्रसिद्ध है।


जोधपुर कीस्तर पुगा?
वायु मार्ग -
दिल्ली ,मुंबई ,जयपुर अने जैसलमेर मु उडावणा वास्ते उपलब्ध है । हवाई अड्डा वास्ते शहेर मु करीब 5 किमी. दूर रानानाडा मे स्थित है।पुरी जानकारी वास्ते फ़ोन न. 230617 अने आरक्षण वास्ते फ़ोन न. 2636757 मे संपर्क करणा मे आवे है।
रेल मार्ग
दिल्ली ,वाराणासी , हावडा जैसलमेर आदि शेरा मु रेलगाडिया उपलब्ध है । मरुधर एक्सप्रेस ,पशिचम एक्स्प्रेस । पुरी जानकारी वास्ते फ़ोन न. 131 मे संपर्क करो ।
सडकमार्ग
इणवास्ते सीटी बस सेवा उपलब्ध है ।जाण्कारी वास्ते फ़ोन न. 2544686 अने 2544980




आपणे राजस्थान रा प्रतीक चिह्‌न

राजस्थान रा प्रतीक चिन्ह

राज्य वृक्ष खेजड़ी
खेजडी - राजस्थान रो राज्य वृक्ष (1983 मांय राज्य वृक्ष रो दर्जो) वैज्ञानिक नाम- प्रोसेपिस सिनेरिया, उपनाम- कल्पवृक्ष, जांटी, शमी, थार रो कल्पवृक्ष, रेगिस्तान रो गौरव।

राज्य पुष्प रोहिडा
रोहिडा - राजस्थान रो राज्य पुष्प (1983 मांय राज्य पुष्प रो दर्जो) वैज्ञानिक नाम- टिकोमेला अंडूळेटा उपनाम मरुशोभा, रेगिस्तान रो साग़वान।

राज्य नृत्य घूमर
घूमर - राजस्थान रो राज्य नृत्य, इण नृत्य ने राज्य री आत्मा भी केविजे है।

राज्य पक्षी गोडावण
गोडावण - राजस्थान रो राज्य पक्षी (1981 में राज्य पक्षी रो दर्जो) वैज्ञानिक नाम- क्रायोटिस नाइग्रीसेप्स, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (शमिला पक्षी) अर सोहन चिडिया रे उपनाम सु प्रसिद्ध। सोंकलिया (अजमेर), सोरसण (बारां) अर राष्ट्रीय मरु उधान में पायो जावे है।

राज्य पशु चिंकारा
चिंकारा - राजस्थान रो राज्य पशु (1981 में राज्य पशु रो दर्जो) वैज्ञानिक नाम- गजेला-गजेला, छोटा हिरण (एंटीलोप) रे उपनाम सु प्रसिद्ध।


राज्य खेल बास्केटबॉल
बास्केटबाल - राजस्थान रो राज्य खेल (1948 में राज्य खेल रो दर्जो )

आपणे राजस्थान रो खान-पान


राजस्थान रो खान-पान प्राय ः आपरी सात्विकता रे वास्ते जाणो जावे हैं।प्राय हिंदू शाकाहारी भोजन रो उपयोग करे हैं पण कुछ लोग मांसाहार रो भी उपयोग करे हैं। मारवाड री अर्थव्यवस्था पशुपालक रेई हैं,इण वास्ते भोजन मे दूध व दूध सू वणियोडी चीजा जिया की दही ,छाछ ,मटठो,घी आदि रो खावा मे उपयोग होवे हैं।साधार ण लोगो मे ज्वार,मोठ ,कुलथ ,मसूर,उड्द औंर तूर रो उपयोग होवे हैं।इणरे अलावा चावल, गेंहू,मकई औंर दुसरे अनाजो रो भी उपयोग होवे हैं पण बाजरे रो उपयोग ज्यादा होवे हैं। सस्ती होने रे कारण गरीब लोगो मे भी इरी बहोत खपत रेवे ।किसानो रे अलावा दूसरा ग्रामीण भी खाणे मे सागरा औंर राबा बहोत प्रचलित हैं।
साधारण लोग दिन मे तीन बार भोजन ग्रहण करे हैं- सीरावण (नाश्ता),दुपहरी (दिन रो भोजन) औंर रात बियालु (रात रो भोजन ) ऩाशते मे बाजरे री रोटी रे साथे घी ,दही, दूध व,मटठो लेवीजे हैं।सब्जियो मे मेथी, पालक या सोया आदि रो उपयोग होवे हैं। दूपहरी मे सोगरा ,मूंडा या मोठरी दाल ,प्याज औंर एक लालमिर्च रो भोजन करिजे। लोग खीचडी रो भी सेवन करे हैं। ओ सब भोजन स्वास्थ्य रे अनूकूल मानीजे हैं।
पांच तरह रे खाधो सू वणियोडी पंचकुट मारवाड री खासियत हैं। जिणमे सांगरी,खैंर (सुखे मेवे ), कुमाथिया (बील),अमचूर औंर मिर्ची होवे हैं। सब्जियो मे कैंर , सांगरी ,फ़ोग,ककडी, फ़लिया ,टिंडा ,खींपोली ,कंकेडा सब जगा होवे हैं।इरे अलावा मूली, गाजर ,शकरकंद औंर तरबूज भी उगाविजे हैं।
अठे क ई तरहा री मिठा ईया औंर नमकीन विश्‍व मे विख्यात हैं। जोधपुर मे मावे री कचौंडी, बीकानेर मे रसगुल्ला,नागौंर मे मालपुवा,किशनगढ मे पेठा,मेड्ता मे दूध पेडा, लूणी मे केशनबाटी, पाली मे गूंजा,नावा मे गूंद रा पापड , सांभर री फ़ीणी ,खारचीरी राबडी व खुनसुना री जलेबी लाजवाब मानीजे हैं। बीकानेरी भूजिया,जोधपुरी मिर्ची बडा,दाल मोठ,कोफ़्ता व शाही समोसा प्रसिद्ध हैं।राजस्थान रे प्रमुख खान पान मे दाल बाटी औंर चूरमो प्रसिद्ध हैं। ओ खाणे मे बहोत स्वाद होवे हैं।
गरीब औंर समृद्ध लोगो रे भोजन मे बहोत अन्तर हैं। समृद्ध लोग बहोत तरह री सब्जियो सु सुगंधित रसो,सुखा मेवा औंर फ़ीणी ,घेवर औंर खाजा जिसी मिठाईया ,नारियल चावल औंर गेंहू सू वणियोडा कई तरह रा व्यज्ंान,दाल,औंर अचार रो उपयोग करिजे हैं।शादी विवाह रे अवसर ऊपर लपसी,सीरो,औंर लाडू बणाई जे हैं।शादी रे अवसर ऊपर गंगाजल,इलायची औंर कपूर ,लौंंग रो सेवन करिजे हैं ।गरीबो मे बाजरे री रोटी रो प्रचलन हैं।


जोधपुर रा मिर्ची बड़ा



बरखा रो मौसम अर बात चटपटो खावा री व्‍है तो आपां राजस्‍थान रा मिर्चीबड़ा ने कदैही नीं भूल सकां। आओ आज आंपा सिखा कै किस तरह बणै है, जोधपुरी मिर्ची बड़ा।
सामग्री
भरावन रै लिए-
3 बड़े उबळिया मैश किया आलू,
1-1 छोटा चम्मच अदरक व हरी मिर्च पेस्ट,
डेढ़-डेढ़ छोटा चम्मच नमक व पिसी लाल मिर्च व शक्कर,
1/2 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर,
1-1 छोटा चम्मच भुना जीरा व धनिया पाउडर,
1/2 छोटा चम्मच गरम मसाला,
2 छोटे चम्मच अमचुर पाउडर,
1 बड़ा चम्मच तेल।

छौंक रै लिए-
स्वादानुसार हींग व राई, 8-10 मोटी लम्बी हरी मिर्च।

कवर रै लिए-
2 कटोरी मोटो बेसन,
1/4 छोटा चम्मच खावा रो सोडो,
1 छोटा चम्मच नमक और आवश्यकतानुसार तेल।

विधि :
कड़ाही में तेल गर्म करें। इणमें राई-हींग डाल’र चटकावै। अबै अदरक व हरी मिर्च डाल’र भून लें। इणमें मैश किया आलू और संगळा शेष मसाला डाल’र आच्छी तरह भून लें। त्‍यार भरावन नै ठंडो व्‍हैवा दें।
हरी मिर्च में लम्बाई में चीरो लगा’र बीज निकाल लें अर नमक लगाकर 10-15 मिनट रै लिए रख दें। फैर सूखे कपड़े सूं पोछ’र भरावन भर दें। बेसन में नमक, खावा रो सोडो और आवश्यकतानुसार पाणी डाल’र घोल त्‍यार करें। भरी हुई मिर्च नैं ण घोल में डुबो’र गर्म तेल में मध्यम आंच पै तल लें। इमली री चटनी रै साथै गर्मा-गर्म मिर्ची बड़े सर्व करें



तिल रा लड्डू


तिल सूं बण्‍या व्‍यंजन गर्मी अर ऊर्जा दोई देवै हैं, जिणरी जनवरी री ठंड रै मौसम माय घणी आवश्यकता होवै है। तिल अर गुड़ नैं मिलार बणाया गया लड्डू मकर संक्रांति माथै अवश्य बणाया जावै हैं। आओ आज आपां तिल गुड रा लड्डू बणावणा सीखां।
आवश्यक सामग्री:
तिल - 500 ग्राम
गुड़ - 500 ग्राम
घी - 2 छोटी चम्मच
विधी :
तिल नैं आच्छी तरह साफ कर लो और भारी तले री कढ़ाई माय आग माथै रखर लगातार चमचे सूं चलाता थका, हल्के भूरा होवा तक भून लो। भुने तिल सूं आधा तिल हल्का सा कूट लो या मिक्सी सूं हल्का सा चलार दरदरा कर लो। साबुत अर कुट्या तिल मिला दो। गुड़ नैं कढ़ाई माय एक चम्मच घी डालर गरम कर लो। गुड़ पिघलवा माथै आग बन्द कर दो। अबे पिघळिया गुड़ माय तिल डालर आच्छी तरह मिलालो। गुड़ तिल रै लड्डू बणवा रो मिश्रण तैयार है। हाथ नैं घी लगार चिकणा कर लो, मिश्रण सूं थोड़ो थोड़ो मिश्रण उठार गोल लड्डू बणालो। लड्डू गरम मिश्रण सूं ही बणाणा पड़ै हैं, मिश्रण ठंडो होवा पे जम जावौ है अर लड्डू बणाणो मुश्किल हो जावै है। अणा लड्डू नैं आप तुरंत भी खा सको हो अर तैयार लड्डू नैं 4-5 घंटे खुली हवा माय छोड़र खुश्क होवा रै बाद आप वणानैं एअर टाइट कन्टेनर माय भरर 3 महिने तक खा सको हो।



राजस्‍थानी मावा मालपुआ


मालपुआ राजस्‍थानी घरा माय बणवा वाळौ एक अस्‍यौ पकवान है, जो बरखा रै दिनां माय बणायौ जावै है। इणरै अलावा हरियाळी अमावस्‍या माथै अठै पारम्परिक रूप सूं मालपुआ अर खीर बणाया जावै हैं। साधारण मालपुआ बणावा रै लिये आटा नैं दूध या दही में घोळ्यौ जावै है अर इलाइची मिला’र मालपुआ तल लिये जावै हैं, अणा मालपुआं नैं खीर रै साथै खाया जावै है। पण राजस्थान में दूध, मावौ अर मैदो मिला’र मावा मालपुआ बणाया जावै हैं। अणा मालपुआ नै तलवा रै बाद चाशनी में डुबाया जावै है। तो आऔ आज आपां राजस्थानी मावा रा मालपुआ बणावां।
आवश्यक सामग्री
दूध - 2 कप
मावा या खोया - 200 ग्राम ( 1 कप ) कद्दू कस कियौ थकों
मैदा - 100 ग्राम (1 कप)
चीनी - 300 ग्राम( 1 1/2 कप)
केसर - 20 - 25 टुकड़े (मन चावै तो)
घी - तलने के लिये
छोटी इलाइची - 3-4 (बारीक पीसी)
पिस्ते - 10-12 (बारीक कतरी)
दूध नैं हल्कौ गरम कर लौ। मावा नैं कद्दूकस कर’र एक कप दूध में डाल दो। आच्छी तरह एक दम मिलवा तक फैटो। फैर मैदा डाल’र आच्छी तरह सूं मिला लो (घोल में गुठलियां नीं रेणी चावै)। बच्‍यौ दूध थोड़ा थोड़ा डालो अर घोल नैं आच्छी तरह फैट’र जलेबी बणावा जस्‍यौ घोल त्‍यार कर लो। मालपूआ बणावा रौ घोल त्‍यार है। घोल नैं 10 मिंट रै लिये ढाक’र रख दो।
चाशनी बणाएं:
चीनी री मात्रा रै आधा सूं थोड़ा वत्‍तौ पाणी (1 1/2 कप चीनी माय 1 कप पाणी) न्‍हाक’र एक तार री पतली चाशनी बणा लें। मालपुआ डालवा रै लिए चाशनी त्‍यार है। चाशनी में केसर डाल’र मिला दें।
यूं बणावै मालपुआ:
चौड़ी कढाई जो उंडी कम व्‍है, विमें घी न्‍हाक’र गरम करे। आपणै मन पसन्द आकार रा मालपूआ बणावा रै लिय, 1 मालपूआ रै लिये, 1 चमचो या आधो चमचा घोल, गरम तेल में डालें। कढ़ाई रै आकार रै अनुसार 2 - 3-4 मालपुआ डाल देवै। मंधरै आंच पै मालपूआ तळ ले। हळका भुरा व्‍हैवा पै पलटे, दूजी ओर भी हळका भूरा व्‍हैवा दे। मालपूआ निकाल’र कणी रख दे। संगळा मालपुआ त्‍यार व्‍या पछे चाशनी में डुबौ दे। 5 मिंट बाद मालपूआ चाशनी सूं निकाळ’र बारीक कट्या पिस्ता न्‍हाक’र सजावै। गरमा’गरम या ठंडा मालपुआ खीर या रबड़ी रै लारै जिमो अर जिमावौ और म्‍हानै बतावौ कै कस्‍याक लागा आपनै राजस्‍थानी मावा मालपुआ।मालपुआ।
बाजरे

बाजरे रौ खिचड़ो -






बाजरे रौ खिचड़ो घणौ स्वाद होवै है। यो राजस्‍थान रा मारवाड़ प्रांत माय ज्‍यादा बणायो जावै है। क्‍यूंकै बाजरा री तासिर गर्म होवै है इणलिये यो ज्‍यादातर सर्दी रै मौसम माय ही बणायो जावै है। पण आप चावो तो यदाकदा इणनैं चावल री खिचड़ी रै विकल्प रै रूप माय बारहों महीना बणा सको हो। तो आओ बाजरे रो खिचड़ो बणावा।
आवश्यक सामग्री:
बाजरो - 200 ग्राम
मूंग री दाल - 150 ग्राम
घी या तेल - 2 टेबल स्पून
हींग - 1 चुटकी
जीरा - 1 छोटी चम्मच
हरी मिर्च - 2 (बारीक कतरी)
अदरक - 1 इंच लंबो टुकड़ो (बारीक कतरियो)
हल्दी पाउडर - आधी छोटी चम्मच
हरी मटर रा दाणा - 1 छोटी कटोरी ( चाहें तो)
नमक - स्वादानुसार
हरा धणिया - 1 टेबल स्पून
विधी :
बाजरे नैं साफ कर लो। पछै थोड़ो सो पाणी न्‍हाक’र विणनैं गीलो करलो और खरल माय न्‍हाकर अतरो कूटो कै बाजरे री संगळी भूसी निकळ जावै। भूसी नैं अलग करर बाजरे नैं धो लो। कूकर माय घी या तेल गर्म करर और उण माय हींग-जीरा न्‍हाकर भून लो। उणरै पछै उण माय हरी मिर्च, अदरक, हल्दी पाउडर व मटर रा दाणा न्‍हाकर 2 मिनट तक भूनो और फिर उण माय बाजरे री मिगी न्‍हाकर 2-3 मिनट तक चमचे सूं चलार फैर भून लो।
अबै कूकर माय दाल और बाजरे री मात्रा रो चार गुणा पाणी न्‍हाकर कूकर नैं बंद कर दो और एक सीटी आवा रै पछै 5 मिनट तक धीमी गैस माथै पका लो।
बाजरे रो खिचड़ो त्‍यार है। खिचड़ा नैं हरे धणिया सूं सजार दही, अचार या चटनी रै साथै जिमो अर जिमावों।
चूरमे रा लाड्डू


राखी सूं ठीक पेल्‍या आवा वाळा रविवार नै राजस्‍थान में फूली रो त्‍योहार मनावै। इण त्‍योहार माथै अठे चुरमा रा लाड्डू बणाया जावै। आओ आज आपां सीखा राजस्‍थानी चुरमा रा लाड्डू।
सामग्री :
2 कटोरी गेहूं रो आटो
1 कटोरी गोळ (गुड़)
1, 1 / 2 कटोरी घी
1 / 2 चम्मच इलायची पावडर
2 -4 चम्मच कट्या थका पिस्ता अर बादाम
२- 4 चम्मच खोपरो बारीक़ कट्यो
चांदी रो वर्क , इलायची और पिस्ता पाउडर सजावट रै लिए
विधी :
सबसूं पैल्‍या आटा में थोड़ा घी रो मोयन दे अर उणमे थोड़ो गरम पाणी न्‍हाक’र 15 -20 मिनट रख दे| फैर मोटी मोटी बाटिया बणा’र सेक ले। जद सिक जावै तो दरदरो पीस ले। पिस्‍या मिश्रण में बादाम, पिस्‍ता, खोपरा, घी अर गुड़ आच्‍छी तरह सूं मिला’र लाडडू बांध ले। फेर वणानैं चांदी रै वर्क और इलायची , पिस्ता पाउडर सूं सजा दे।

वीर तेजाजी महाराज


बिरखा रूत सरू हुवतां ई राजस्थान रै गामां रौ वातावरण 'तैजे' री टेर सूं गूंजण लागै। हरेक करसौ आपरै खेत मांय 'तेजा टेर' रै साथै ई बुवाई सरू करै। जाट जाति में पेैदा हुया तेजाजी गोगाजी री दाई सांपां रै देवता रै रूप में राजस्थान में पूज्या जावै। इण रूप में वां रै पूजीजणा रै लारै अेक घटना रैयी है वां रै ई जीवण री।
राजस्थान रै लोक-देवतावां में तेजाजी री ई ठावी ठौड़ है। इणां री जनम-तिथि रै संबंध में कोई समसामयिक साक्ष्य उपलब्ध नीं है, पण इणां रै वंश रै भाटां री बहियां देखण सूं पतौ चालै के इणां रौ जनम मारवाड़ रै नागौर परगनै रे खड़नाल नाम रै गाम में जाट जाति रै धोल्या गौत्र में वि. सं. 1130 री माघ सुदी 14 नै बिस्पतवार (1074) रे दिन हुयौ हौ। इणां रेै पिता रौ नाम ताहडजी अर माता रौ नाम रामकुंवरी हौ। कैयौ जावै के पेमल इणां री छेहली पत्नी ही अर इणसूं पैली इणां रा पांच व्याव हुय चुक्या हा।
गोगाजी री दाई तेजाजी ई आपरौ जीवण गायां री रक्षा में लगाया दियौ हौ। लोकगीतां सू पतौ चालै के जद अै आपरी पत्नी पेमल नै लेवण सारू पनेर गयोड़ा हा, उणी बगत मेर लोग लाछा गूजरी री गायां चोरनै लेयग्या। गूजरां री प्रार्थना माथै तेजाजी मेरां रौ लारौ कर्यौ अर कठण संघर्षां रे बाद गायां नै छुडावण में सफलता प्राप्त करी। पण इण संघर्ष में अै अणूंता ई घायल हुयग्या, जिणसूं अै जमीन माथै हेठा पड़ग्या अर इणरै बाद सरप रै काटण री वजै सूं इणां रौ देहांत हुयग्यौ। इणां रौ देहांत किशनगढ रै त्हैत आयै सुरसरा गाम में हुयौ हौ। इणां रे लारै इणां री पत्नी सती हुई। तेजाजी रै बारै में भाट भैरू (डेगाणा) री बही मुजब तेजाजी रौ देहांत वि. सं. 1160 री माघ बदी 4 नै हुयौ हौ जद के जनसाधारण में इणां रौ ेहांत दिन भादवा सुदी 1 प्रचलित है।
तेजाजी नै सरप रै काटण रे बाबत केई लोकगाथावां मिलै। अेक गाथा मुजब जद तेजाजी आपरै सासरै जाय रैया हा, तौ रस्तै मेें आं अेक सरप नै बलण सूं बचाय लियौ, पण इणां री इण कोसिस रै दरम्यान उणरी सरपणी बल चुकी ही। सो बचियोड़ौ सरप क्रोध में पागल हुयग्यौ अर तेजाजी नै डसण लाग्यौ। तद तेजाजी उणनै रोकता थकां वचन दियौ के - "सासरै जाय'र म्हैं पाछौ थारै कनै आवूं, तद थूं म्हनै डस लीजै।" सासरै गयां इणां नै अचाणचक गायां छुडावण सारू मेरां रै लारै जावणौ पड्यौ। मेरां रै साथे हुयै संघर्ष में अै अणूंता ई घायल हुयग्या हा, तौ ई आपरै वचन निभावण सारू अै उण सरप कनै पूग्या। तद इणांने देख'र सरप कैयौ के - " थांरौ तो सगलौ सरीर ई घावां सूं भर्यौ पड्यौ है, म्हैं डसूं ई तौ कठै डसूं?" इण बात माथै तेजाजी आपरी जीभ निकाली अर सरप इणां री जीभ नै डस लियौ। दूजै कानी लोकगाथा मुजब तेजाजी जद गायां चरावण नै जाया करता हा, तद अेक गाय अलग हुय'र अेक बिल रै कनै जावती परी ही, जठै अेक सरप निकल'र गाय रौ दूध पीय जावतौ हौ। आ बात ठा पड़ियां तेजाजी सरप नै नित दूध पावण रौ वादौ कर्यौ। पण, किणी वजै सूं अेक दिन अै उणने दूध पावणौ भूलग्या। इण बात माथै सरप रीस में झालौझाल हुय'र इणां नै डसणौ चायौ। तद तेजाजी सासरै जाय'र उठै सूं बावड़ियां खुदौखुद नै डसावण रौ वायदौ कर्यौ। जद तेजाजी सासरै सूं घायल हुयोड़ा आय'र उण जगै पूग्या, तौ सरप तेजाजी रौ सारौ सरीर घायल देख'र जीभ माथै डस लियौ। तीसरी लोकघाथा मुजबमेरां रै साथै हुयै संघर्ष में वै अणूंता ई घायल हुयग्या हा, सो वै उठै ई हेठा पड़ग्या। उण बगत उठै सरप बैठ्यौ हौ जिकौ अजेज तेजाजी री जीभ माथै काट खायौ।खायौ।


तेजाजी रे कर्यौडै शौर्यपूर्ण कृत्य, त्याग, वचन-पालणा अर गौ-रक्षा ई इणां नै देवत्व प्रदान कर्यौ। सरू में इणांरे मिरतु-स्थल सुरसरा में इणां रौ अेक मिंदर बणवाईज्यौ, जठै अेक पशु मैलौ लाग्या करतौ हौ। पण वि. सं. 1791 परवाणै सन् 1734 ई. में जोधपुर-महाराजा अभयसिंह रै बगत परबतसर रौ हाकिम उठै सूं तेजाजी री मूरती परबतसर लेय आयौ। तद सूं परबतसर तेजाजी रौ खास स्थान बणग्यौ है। परबतसर में भादवा सुदी 5 सूं 15 तांई अेक विसाल पशु-मैलौ लागै, जिणमें बौत ई बडी संख्या में दूर-दूर रै स्थानां रा सैकडूं वौपारी अर दरसणारथी अेकठ हुवै। तेजाजी रा दूजा खास-खास मेला इणां री जनमभूमि खड़नाल, सुरसरा अर ब्यावर में लागै, जठै इणां रा मिंदर बणियोड़ा है। किशनगढ़, बूंदी, अजमेर इत्याद भूतपूर्व रियासतां में ई केई स्थानां माथै तेजाजी रा मिंदर है। वियां राजस्थान रै अमूमन हर गाम में इणां रा देवरा बणियोड़ा है, जिणां सूं इणां री लोकप्रियता आंकी जाय सकै। आं देवरां रै त्हैत तेजाजी री मूरती गाम रै अेकाध चबूतरै माथै प्रतिष्ठित करीजै, जिकी हाथ में तलवार लियोड़ा घोडै़ माथै असवार रै रूप में हुवै जिणां री जीभ नै सांप डसतौ थकौ दिखायोड़ौ हुवै, कनै ई इणां री पत्नी ई ऊभी हुवै।
राजस्थान में भादवा सुदी 10 नै तेजाजी रौ पूजन हुवै। इण दिन धणकारा लोग तेजाजी रौ ब्यावलौ बंचवावै तौ केई इणां री कथा-वाचन रौ आयोजन करवावै। कठै-कठै ई इणां री जीवण-लीला री व्याख्या में ख्याल ई खेल्या जावै, जिणनै देखण सारू ब डी भारी संख्या में गाम रा लोग भेला हुवै। जाटां में तेजाजी रा भगत बेसी है। अमूमन जाट गलै मांय चांदी रौ अेक ताबीज पैर्यां राखै, जिण माथै तेजाजी अश्वारोही (घुड़सवार) जोद्धा रै रूप में हाथ में नागी तरवार लियोड़ा अर अेक सरप उणां री जीभ नै डसतौ थकौ अंकित कर्योड़ौ हुवै।
राजस्थान में अै ई गोगाजी री दाई सरपां रेै देवता रै रूप में पूज्या जावै। राजस्थान री गांवेड़ी जनता रौ अैड़ौ विसवास है के जे सरप रै डस्योड़ै मिनख रै जीवणै पग में तेजाजी री तांती (डोरी) बांध दी जावै, तौ उणने ज्हैर नीं चढ़ै। बाद में, उण मिनख नै तेाजी रै स्थान माथै ले जायौ जावै अर विधिपूर्वक पूजा रै उपरांयत वा तांती काट दी जावै। मिनखां रै अलावा सरपां रै काट्योडै़ पशुवां रै ई आ तांती बांधीजै।
तेजाजी नै लेय'र राजस्थान में अणमाप लोक साहित्य रौ निरमाण हुयौ है। जन साधारण में अर कास करनै करसां में तेजाजी रै साहसिक, दृढप्रतिज्ञ अर सेवाभावी जीवण री गुणावली रै साथै-साथै इणां रै घरू जीवण संबंध घटनावां री गाथा ई हुवै जिकी ठीक करसां रै अनुरूप हुवै। सो असाढ़, सावण अर भादवै रै महीनै में गामां रौ वातावरण तेजाजी रै गीतां सूं गूंजतौ रैवै। हरेक करसौ 'तेजा टेर' रै साथै बुवाई सरू करै, क्यूं कै वौ अैड़ौ करणौ आपरी भावी फसल सारू शुभ समझै। इणरै अलावा उणां रौ जीवण ई तेजाजी रै जीवण रै समान ई है, क्यूं कै ऊणां ने ई वां ई परिस्थितियां सूं सामनौ करणौ पड़ै जिणां सूं तेजाजी ई कर्यौ हौ। सो आं गीतां सूं करसां नै आपरै लौकिक जीवण रे कार्यकलापां मैं बरौबर प्रेरणा मिलती रैवै। लुगायां रै गावण वालै तेजाजी रै गीतां में सूं अेक गीत में तेजाजी सूं कालै नाग रौ ज्हैर उतारण सारू अरज करीजी है। अेक दूजै गीत सूं ठा पड़ै के तेजाजी रै नाम सूं ई ज्हैर शांत हुय जावै। इण भांत आं न्यारै-न्यारै गीतां सूं तेजाजी रै प्रति राजस्थानी लोक हिरदै मांय व्याप्योड़ी श्रद्धा-भावना रौ पतौ पड़ै।
तेजाजी रै चमत्कारां री इधकाई रौ वरणाव अनेकूं लोक गीतां मुजब उल्लेखजोग है। इण गीतां में तेजाजी अर नाग रै बतलावण री छिब देखणजोग-


डोर तौ लागी छै रै, श्री भगवान सूं,
झूठो सब संसार रै, बाबा बासग।
झूठी तौ काया रै, साचौ रामजी,
सत पै सांी खड़ौ छै रै, बाबा बासग।।
तैजाजी रै इण भगती-उद्गारां रौ पडूत्तर
देवता थका नागराज कैवै-
सत पै ही मरेगौ रै, लड़कौ जाट को,
धन-धन थारा सत नै रै, तेजल बेटा।
घनयक तौ छै जी रै थारा ग्यान नै,
घर-घर में पुजावा दूं रै, तेजल थनैं।।
लोक जीवण में अर खास र' कृषक समाज में तेजाजी री अणूंती ई धावना रैयी है खेतां मांय हल चलावतै बगत किरसाण तेजा टेर सूं काम करणौ सरू करै-
कलजुग में तौ दोय फूलड़ा बडा जी,
अेक सूरज दूजौ चांद औ।
वासग रा औ तेजाजी थे बडा जी,
सूरज री करिणां तपै जी,
चंदा री निरमल रात औ।।
इंदर तौ बरसावै जी,
धरती तौ निपजावै धान हौ।
मायड़ जण जलम दीना,
बाप लडाया छै लाड जी।।

{जय बोलो तेजल अवतारी की जय हो||}


राजस्थानी पहेलियां


1. सावण में सुंसाट करै,
पगां चलावै कार
इ आडी रो अरथ बताद्‌यो,
रिपिया द्‌यूं हजार
2. छोटी सी पिदकी
पिद-पिद करती,
सारै दिन चरती
लेडा नहीं करती ।
3. भूरती भैस टिब्बे पर बयाई
सो सिंगांळी पाडी ल्याई
जामतांई मारण नै आई।
4. अेक सींग गी गा
घालै बीतौ खा।
5. हरी घणी लाम्बी घणी
सुअै जिस्यौ रंग,
ग्यारह देवर छोडनै,
चाली जेठ रे संग
6. धोळी घोडी झबरौ पूंछ
नीं आवै तो बापू नै पूछ।
7. रूघो चालै रग-मग
तीन माथा दस पग
8. हरी टोपी लाल दुशाला,
पेट में मोत्या री माळा।
9. धोळौ-धोळौ धपलौ
मूळी ग़ो सो कपलो।
10. आडूंक आडूं
गोडै सूदौ गाडूं।
11. आडी चालूं टेडी चालूं
चालूं कमर कस
ई आडी ऱौ अरथ बतादयौ
रिपिया देस्यूं दस।
12. आंको-बांको आंटियो,
आंको म्हांको नाम,
ई आडी गो अरथ बताद्तौ,
नीं तो छोडो गाम।
कीं आड्‌यां दूजी तरियां री है। इणां सू टाबरा रौ जठै मानसिक विकास होंवतो बठैई बै कविता री परम्परा नै भी आगै बंधावता हां।
13. सोनै गी कढावणी घडद्‌यौ...
सासू-भू कमावणी
सोनै गी घडी कढावणि।
14. भोजासर रै कुअै ऊपर सूं कोई मतीरो कुदाद्‌यौै...
आकां रै लाग्या अकडोडिया
फोगां रै लाग्यौ जीरो
भोजासर रै कुअै ऊपर कूदग्यौ मतीरो।
15. कुअै में सूं मोबी बकरो काडदयौै...
थाळी भरी मोतियां, कोठो भरयौ सिंदूर
निकळ म्हारा मोबी बकरा, अेवड निसरयौ दूर
16. कोठी नै परलै बास पुगादयौ
हाथ में पुराणी पग में रास
चाल म्हारी कोठी परले बास
17. अम्बर सूं गाडौ रूडादयौै...
भूरती भैस भराडा पाडा
अम्बर परिया रूडग्या गाडा।
18. हाथी सूं लादौ मंगादयौ ...
छिणमिण छिणमिण छांट पडै
गोडै सूदौ कादौ
तावडियै री चूंचाड में
हाथी ल्यावै लादौ।
19. सुसियै ने राख में लिटाद्‌यौ...
आधी रोटी काख में
सुसियौ लिटयौ राख में
20. कुअै पर जान जिमाद्‌यौ...
म्हारै कान थारै कान
कुअै ऊपर जिमै जान
21. भूरती भैंस दुहद्‌यौ...
अगड लडै दो बगड लडै
पेडै चढता सर्प लडै
सर्पा रै मुंह में सुई
अर भूरती भैंस दुई।
22. बागड री रेल मगाद्‌यौ ...
अगड लडै दो बगड लडै
पेडै चढता सर्प लडै
सर्पा रै मुंह में सुई
अर भूरती भैंस दुई।
दुहतां-दुहतां आया झाग
बै दिखै बाळू रा बाग
बागां में अेरौ-घेरौ
अर बौ दिखै डाकण रो डेरौ
डाकण रै डेरै में करुओ तेल
बा आई बागड गी रेल।
23. हाथी गो पोड पीळौ करद्‌यौ...
बाटकियै में सीरौ
हाथी गो पोड पीळौ।

उत्तर : 1. भूंडियो 2. दांती 3. भरूंट 4. चाकी 5. सांगरी 6. मूळी 7. दो बादळां लारै किसान 8. लाल मिर्च 9. चांदी आळौ रिपियो 10. खूंटो 11. भुवारी 12. बेरडी रो बांकियो कांटो|




१. सासू गी तो सासू, सुसरै गी माता
सागी खसम री दादी, अैई म्हारा नाता।
2. छाती तो खाती घडी, पेट घडयो सुनार
सिर तो कुम्हार घडयो, टोपी घडी लुहार।
3. साळै गौ साळौ, बींगौ डावौ कान काळौ
बींगै भाणजै री भुआ, तैरै के लागी?
4. गोगो बैठयौ उरलै बास,
पग पसारया परलै बास।
5. आडयौ रे आडयौ,
गोडै सुदौ गाडयौ
चोटी पकडग़े काडयौ।
1. सूकी नैर में मंगलियौ तिरायदौ...
पिण्डी पाटी लोही झरै
सूकी नैर में मंगलियौ तिरै
2. बिल्ली नै बूंटियौ परादयौ...
चूल्है लारै चूंटीयौ
बिल्ली पैरै बूंटीयौ
3. तारा ने राबडी प्यादे...
छज्जे ऊपर छाबडी
तारा पीयै राबडी
4. सोनै री कीकर काट दे...
कसियौ-कुहाडियौ पिपाटी
सोनै री कीकर म्हूं काटी।

उत्तर : 1. दादेर सासू 2. होको (कळी) 3. घरआळी 4. दियौ, चनणौ 5. बूरेडौ मतीरियौ