Thursday 13 August 2015

आपणो बचपन


जाने कब हम इतने बड़े हो गए

कभी पहली बार स्कूल जाने मे डर लगता था
आज मिलते हे दोस्त बन जाते है
कभी मां-बाप की हर बात सच्ची लगती थी
आज उन्ही को हर पल झूटलाते है.......

परीयो की कहानी की जगह आजकल रात को
फोन पर दोस्त की बात सुनना ज्यादा अच्छा लगता है..........

पहले 1st आने के लिए पूरे साल पढते थे
आज पास होने को तरसते है
कार्टून की जगह अब रीयलटी शो अच्छे लगते है........

कभी छोटी सी चोट लगने पर इतना रोते थे
आज दिल टूट जाता है फिर भी संभल जाते है
पहले दोस्त बस साथ खेलने तक याद रहते थे
आज वो ही दोस्त जान से ज्यादा प्यारे लगते है.......

एक दिन था जब पल मे लडना पल मे मनना था रोज का काम
आज जो एक बार जुदा हुए तो फिर घेहरे रिश्ते तक खो जाते है.......

सच मे जिन्दगी ने बहुत कुछ सिखा दिया
जाने कब हमे इतना बड़ा बना दिया..........

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